Wednesday 26 December 2012

जबसे देखा है

जबसे देखा है तुझे कोई चेहरा
इन आँखों में बसता ही नहीं ।

कोई तुझसे भी हसीन होगा 
दिल ये बात मानता ही नहीं ।

मेरी आँखों में है मुहब्बत तुम्हारे लिए 
मगर तू उन्हें कभी देखता ही नहीं ।

ख्वाहिश है दिल को बस मुहब्बत की 
मुहब्बत भरा दिल कंही मिलता ही नहीं ।

मिलने को तुझसे मिलतें रहे है हम मगर
उस तरह से 'चन्दन' कभी मिलता ही नहीं ।

Saturday 22 December 2012

आप यहाँ क्यों आये !


जाहिर की हमने मिलने की ख्वाहिश 
और वो हमसे मिलने चले आये।
मगर साथ अपने सांसो में लपेटकर ,
खुशबु किसी और की लाये 

फिर हम उनसे कुछ भी न कह सके
और वो हमसे पूछते रहे ,
आप यहाँ क्यों आये !
आप यहाँ क्यों आये !

Tuesday 30 October 2012

प्यार मे

ज़िन्दगी हमको जाने कंहा 
ले के जाएगी 

ले जाएगी जहाँ भी, तेरी  
याद आएगी 

याद आएगी तेरी, दिल 
मेरा रोएगा 

रोएगा दिल और फ़िर से 
सपने संजोयेगा 

संजोयेगा सपने जबतक किसी 
और का हो न सकेगा  

चाह कर भी किसी और के लिए 
रो न सकेगा 

रोना जरुरी शर्त है मेरे यार ! 
प्यार में 

प्यार मे, सपने किसी और के संग
संजो न सकेगे 

तेरे हो चुके हम, अब किसी और के 
हो न सकेगे 

बडे प्यार से


उससे मिलने न जाता तो क्या करता 
मुझे बुलाया जो था उसने बडे प्यार से 

कैसे न उलझता मैं उसके जुल्फ के पेचों में  
मेरे सानो पे बिखेरे थे जुल्फ उसने बडे प्यार से 

सब थी खबर मुझको फ़िर भी सुनता रहा 
दिल का हाल सुनाया जो उसने बडे प्यार से  

मैं चाहती हु जिसे वो तुम नहीं कोई और है 
वो कहता रहा मै सुनता रहा बडे प्यार से 

निकाल के ले गया दिल मेरे सिने के अन्दर से  
खंज़र ले के बैठा था इंतजार में वो बडे प्यार से 

न आह निकली न उफ़ तक लबों पे आया मेरे 
मुझे मौत की नींद सुलाया उसने बडे प्यार से 



Saturday 6 October 2012

पापा


मैने अबतक बहुत सी कविता /शायरी पढ़ी हैं जिसमे माँ के बारे मे कहा और सुना गया है | लेकीन पापा के बारे मे बहुत कम | मैंने ये पंक्तियाँ Father Day के दिन लिखी थी , अबतक पोस्ट नहीं कर पाया था | आज पोस्ट कर रहा हू |


पापा ! मैं आज भी सो रहा होता ।
जो वक्त पे आपने मुझे जगाया न होता ।।

पापा ! मैं आज भी किसी के सहारे खड़ा होता ।
जो बचपन में चुपके से अपनी अंगुली छुडाया न होता ।।

पापा ! मैं आज भी सड़क किनारे खड़ा होता ।
जो भीड़ भरी बस में आपने मुझे ढकेल कर चढ़ाया न होता ।।

Thursday 7 June 2012

मेरा चेहरा


मेरा चेहरा अपनी आँखों में बसाए रखिए |
मेरी तस्वीर को सिने से लगाए रखिए ||

लौट के आने तक होता रहे इन्तजार मेरा |
अपने दिल में प्यार की शम्मा जलाए रखिए ||

लौट के आऊगा मैं, ये वादा रहा हमारा | 
मेरे आने तक दिल को बहलाए रखिए ||

आपके बगैर जीने की कभी सोचता नहीं हूँ मैं,
ये एहसास अपने भी सिने में जगाए रखिए ||

दुनिया वालो का क्या वो तो कुछ भी कहेगे |
खुद को दुनिया की निगाहों से बचाए रखिए ||

कम न होने पाए दिलो में एहसास प्यार के |
खूबसूरत ख्यालो से दिल को महकाए रखिए ||

मेरा चेहरा अपनी आँखों में बसाए रखिए |
मेरी तस्वीर को सिने से लगाए रखिए ||

Sunday 18 March 2012

तुझसे मिला हूँ ….

दुनिया  में कई तरह के लोग होते हैं | उनमे से कुछ लोग ऐसे भी होतें हैं जो दिल के जज्बात बहुत आसानी से सामने वाले को बेझिझक कह देतें हैं तो कुछ कभी नहीं कह पाते | मैं शायद दूसरे किश्म का इंसान हूँ | ऐसे ही लम्हे को याद करते हुए लिखी गई ये रचना, जब मैं उससे मिला था लेकिन लाख कोशिशों के वावजुद उससे कुछ नहीं कह पाया | आज यहाँ कह रहा हूँ ........

तुझसे मिला हूँ
इस तरह तो
सोचता हूँ
क्या कहुँ ।                                                                                                                                                                             
तुझे चाँद कहुँ,
तुझे सूरज कहुँ,
या कहुँ
खुबसूरत तुझको ।

शायर होता तो
गजल कहता,
कवि होता तो
कोई कविता ।

इनमे से कुछ भी
नहीं हूँ मै,
तो सोचता हूँ
क्या कहुँ ।

तुझे चाँद कहुँ,
तुझे सूरज कहुँ,
या कहुँ
खुबसूरत तुझको ।

सोचता हूँ
इस चेहरे की हकीकत क्या,
बस एक नकाब है 
ये चेहरा ।

और मै नहीं जो किसी के
हुस्न का कायल हो जाऊँ ।
निगाहों के तीर से मै 
घायल हो जाऊँ ।

हमे तो तलाश है 
एक खुबसूरत दिल की,
जो धरकता हो सिने में
और समझता हो दिलों के
नाजुक जज्बात को ।


जज्बात जो मेरे दिल में है ,
जज्बात जो उसके दिल में है ।
पहले दिल से दिल मिले ,
शायद फिर
मुहब्बत का कोई गुल खिले ।


खिलने को गुल मुहब्बत के 
खिलतें रहेगे ,
मिलने को तुझसे हम
मिलतें रहेगे ।


मगर तुझसे मिला हूँ
इस तरह तो
सोचता हूँ
क्या कहुँ ।                                                                                                                                                                            
तुझे चाँद कहुँ,
तुझे सूरज कहुँ,
या कहुँ
खुबसूरत तुझको ।



दस्तक

दिल पर चोट खाए इंसान के लिए कभी आसान नहीं होता की वो सबकुछ भूल कर जिंदगी की नयी शुरुआत करे | इसे में यदि दिल के दरवाजे पर दस्तक हो तो इंसान दरवाजा खोलने के पहले कई बार सोचता हैं | कभी-कभी तो दिल के दरवाजे खुल जातें हैं तो कई बार उस दिल के दरवाजे हर किसी के लिए बंद हो जातें हैं | ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ .............. पर दिल के दरवाजे नहीं खुले | आज भी बंद है मेरे दिल के दरवाजे किसी और दस्तक के इंतजार में |

मरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हो तुम
दस्तक की तरह ।
पता है मुझे गुजर जाओगी तुम भी
वक्त की तरह ।।

किसके रोके रुका है ये, वक्त है जो
गुजर ही जायगा ।
चमन मे बहार कुछ पल को है, ये
उजड़ ही जायगा ।।

हर बात से वाकिफ हूँ मैं, किसी बात
से मुझे इंकार नहीं ।
हाँ, है इस दिल की मुहबत तुझसे, मगर
मुझे इकरार नहीं ।।

मेरी चाहत

हर  इंसान जो चाहता है उसे हमेसा वो नहीं मिल पाता । मगर जिंदगी चलती रहती है,  क्यों की चलने का नाम ही जिंदगी है । मगर वो चाहत दिल के किसी कोने में हमेशा जिंदा रहती है । जब कभी उसे मौका मिलता है वो कुलाचे भरने लगता है । ऐसे में इंसान या तो उसे पाने की कोशिश करता है या भुल जाने की । ऐसे ही किसी लम्हे में किसी को पाने की अधूरी चाहत को याद करतें हुए लिखी हुई एक छोटी सी गजल ......................

कई मंजर मेरी आँखों में आज भी है ।
उसका चेहरा मेरी आँखों में आज भी है ।।

आज भी मैं चाहता हू उसे उसी तरह ।
उसे पाने की चाहत दिल में आज भी है ।।

हम वावाफा उसके लिए उसी तरह आज भी हैं ।
मगर जाने क्यों वो खफा मुझसे आज भी है ।।

कई मंजर मेरी आँखों में आज भी है ।
उसका चेहरा मेरी आँखों में आज भी है ।।