Wednesday 26 December 2012

जबसे देखा है

जबसे देखा है तुझे कोई चेहरा
इन आँखों में बसता ही नहीं ।

कोई तुझसे भी हसीन होगा 
दिल ये बात मानता ही नहीं ।

मेरी आँखों में है मुहब्बत तुम्हारे लिए 
मगर तू उन्हें कभी देखता ही नहीं ।

ख्वाहिश है दिल को बस मुहब्बत की 
मुहब्बत भरा दिल कंही मिलता ही नहीं ।

मिलने को तुझसे मिलतें रहे है हम मगर
उस तरह से 'चन्दन' कभी मिलता ही नहीं ।

Saturday 22 December 2012

आप यहाँ क्यों आये !


जाहिर की हमने मिलने की ख्वाहिश 
और वो हमसे मिलने चले आये।
मगर साथ अपने सांसो में लपेटकर ,
खुशबु किसी और की लाये 

फिर हम उनसे कुछ भी न कह सके
और वो हमसे पूछते रहे ,
आप यहाँ क्यों आये !
आप यहाँ क्यों आये !